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ब्रिटिश प्रोफेसर के निर्वासन पर बोले शशि थरूर, “भारत सरकार को और अधिक सहनशील होने की जरूरत”

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नई दिल्‍ली । लंदन की प्रोफेसर फ्रांसेस्का ओरसिनी (Professor Francesca Orsini) को वीजा शर्तों (Visa conditions) के कथित उल्लंघन के कारण दिल्ली हवाई अड्डे (Delhi Airport) से निर्वासित किए जाने के कुछ दिनों बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर (Congress leader Shashi Tharoor) ने रविवार को कहा कि भारत सरकार को अधिक सहनशील, व्यापक सोच और बड़ा दिल वाला होने की जरूरत है। तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा कि मामूली वीजा उल्लंघन के कारण विदेशी विद्वानों और शिक्षाविदों को निर्वासन के तहत वापस भेजने के लिए हवाई अड्डे के आव्रजन काउंटर पर असम्मानजक रवैया दिखाना देश को विदेशी शैक्षणिक पत्रिकाओं में प्रकाशित किसी भी नकारात्मक लेख से कहीं अधिक नुकसान पहुंचा रहा है।

थरूर की यह टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता के एक पोस्ट के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने एक अखबार में प्रकाशित अपने लेख को साझा करते हुए तर्क दिया था कि वीजा शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है, लेकिन किसी प्रोफेसर की छात्रवृत्ति का मूल्यांकन करना उसका काम नहीं है। दासगुप्ता ने ओरसिनी विवाद वीजा निगरानीकर्ताओं के खतरे को दर्शाता है शीर्षक से लिखे अपने लेख में कहा कि अब जबकि ब्रिटेन में रहने वालीं प्रतिष्ठित हिंदी विद्वान ओरसिनी को प्रवेश नहीं दिए जाने से जुड़ा हंगामा शांत हो गया है, तो इस विवाद से उत्पन्न कुछ मुद्दों पर विचार करना उचित होगा।

दासगुप्ता के पोस्ट को टैग करते हुए थरूर ने कहा, ‘एक बार के लिए, मैं स्वपन (55) से सहमत हूं। मामूली वीजा उल्लंघनों के कारण विदेशी विद्वानों और शिक्षाविदों को निर्वासित करने के लिए हमारे हवाई अड्डों के आव्रजन काउंटरों पर ‘अस्म्मानजनक रवैया’ अपनाना एक देश, एक संस्कृति और एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीय राष्ट्र के रूप में हमें विदेशी अकादमिक पत्रिकाओं में प्रकाशित किसी भी नकारात्मक लेख से कहीं अधिक नुकसान पहुंचा रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार को अधिक सहनशील, व्यापक सोच और बड़ा दिल वाला होने की जरूरत है।’ पिछले महीने कांग्रेस ने कहा था कि ओरसिनी को देश से बाहर करने का फ़ैसला आव्रजन संबंधी औपचारिकता का मामला नहीं था, बल्कि ‘स्वतंत्र, गंभीर विचार वाले, पेशेवर विद्वता के प्रति मोदी सरकार की शत्रुता का प्रतीक’ था। गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि हिंदी की विद्वान और स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) में ‘प्रोफेसर एमेरिटा’ ओरसिनी को पिछले महीने हांगकांग से आने के तुरंत बाद निर्वासित कर दिया गया था।

सूत्र ने बताया कि वीजा शर्तों के उल्लंघन के कारण ओरसिनी को मार्च 2025 से ‘काली सूची’ में रखा गया है। ‘एक्स’ पर ओरसिनी के निर्वासन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा, ‘बिना किसी कारण के उन्हें निर्वासित करना एक ऐसी सरकार की निशानी है जो असुरक्षित, बेसुध और यहां तक कि मूर्ख है।’ उन्होंने ओरसिनी को भारतीय साहित्य की एक महान विद्वान बताते हुए कहा कि उनके कार्यों ने हमारी अपनी सांस्कृतिक विरासत की समझ को समृद्ध रूप से प्रकाशित किया है।

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