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नई दिल्ली: देश के 272 पूर्व शीर्ष अधिकारियों, जजों, राजनयिकों और सेना के अफसरों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इन लोगों ने एक खुला पत्र जारी कर कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी ‘चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं में जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.’
‘Assault on National Constitutional Authorities’ नाम के टाइटल वाले पत्र में कहा गया कि कुछ विपक्षी नेता ‘जहरीली बयानबाजी’ और ‘बिना सबूत के आरोपों’ के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं. साइन करने वालों ने आरोप लगाया कि सेना, न्यायपालिका और संसद के बाद अब कांग्रेस का निशाना चुनाव आयोग है.
पत्र में कहा गया कि राहुल गांधी बार-बार वोट चोरी के आरोप लगाते रहे, लेकिन उन्होंने आज तक कोई आधिकारिक शिकायत या एफिडेविट जमा नहीं किया. उनके ‘100% प्रूफ’, ‘एटम बम’ और ‘देशद्रोह’ जैसे दावों को भी ‘बिना आधार’ बताया गया.
पूर्व अधिकारियों ने कहा कि कांग्रेस, विपक्ष और उससे जुड़े NGOs बार-बार चुनाव आयोग को ‘BJP की B-टीम’ बताकर बदनाम करते रहे, जबकि ECI लगातार अपने तरीके, डेटा और प्रक्रियाएं सार्वजनिक कर रही है. पत्र में लिखा गया कि अदालत की निगरानी में हुई जांच, प्रकाशित डेटा और हटाए गए अवैध नाम इस तरह के आरोपों को गलत साबित करते हैं.
साइन करने वालों ने इसे चुनावी नाकामी से उपजा हताशा भरा गुस्सा बताया. उन्होंने लिखा, ‘जब नेता जनता से दूर हो जाते हैं, तो वे अपनी कमजोरियों की जगह संस्थाओं पर हमला करने लगते हैं. विश्लेषण की जगह नाटकीयता आ जाती है. जनसेवा की जगह सार्वजनिक तमाशा ले लेता है.’ पत्र में कहा गया कि देश को आज भी पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन सेशन और एन. गोपालस्वामी जैसी शख्सियतें याद हैं, जिन्होंने बिना लोकप्रियता की चाहत के निष्पक्ष और सख्त चुनाव कराए.
अंत में पत्र ने चुनाव आयोग से कहा कि वह डेटा सार्वजनिक करता रहे, जरूरत पड़ने पर कानूनी लड़ाई लड़े और ‘पीड़ित बनने वाली राजनीति’ को दरकिनार करे. साथ ही राजनीतिक नेताओं से अपील की कि वे बिना सबूत के आरोप लगाने की जगह नीतियों पर प्रतिस्पर्धा करें और चुनाव परिणामों को शालीनता से स्वीकार करें.









