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वंशवाद पर शशि थरूर के बयान से कांग्रेस में बवाल, उदित राज और राशिद अल्वी ने जताई कड़ी आपत्ति

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नई दिल्‍ली । कांग्रेस सांसद और सीनियर लीडर शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने ऐसा मुद्दा छेड़ा है, जिससे पार्टी में ही घमासान मच गया है. कांग्रेस (Congress) के कई नेता थरूर पर हमलावर हो गए हैं तो कुछ पार्टी के बचाव में उतर आए हैं. शशि थरूर ने एक लेख में वंशवाद को लोकतंत्र (Democracy) के लिए खतरा बताया है. इसके बाद बीजेपी (BJP) को बैठे-बिठाए बड़ा मुद्दा मिल गया और गांधी परिवार निशाने पर आ गया. वंशवाद की राजनीति पर थरूर के रुख के बाद कांग्रेस नेताओं ने पार्टी सांसद को टारगेट पर ले लिया है. कुछ ने पार्टी का बचाव किया है तो कुछ ने भाजपा पर हमला बोला है. बता दें कि अभी देशभर में बिहार विधानसभा चुनाव का शोर है, ऐसे में शशि थरूर की ओर से वंशवाद पर करारा प्रहार कांग्रेस को असहज स्थिति में ला दिया है.

दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा है कि वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ‘गंभीर खतरा’ है और अब समय आ गया है कि भारत वंशवाद की जगह योग्यता को स्वीकार्यता प्रदान करे. शशि थरूर ने लेख लिखकर आगे कहा कि जब राजनीतिक सत्ता का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी स्तर पर जुड़ाव के बजाय वंशवाद से होता है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है. अब उनके इस बयान से कांग्रेस में खलबली मची हुई है. वंशवाद की बात होते ही गांधी परिवार निशाने पर आ जाता है, ऐसे में कांग्रेस नेता पार्टी और अपने टॉप लीडर्स की बचाव में उतर आए. इन नेताओं ने न केवल कांग्रेस का बचाव किया बल्कि भाजपा पर भी निशाना साधा.

वंशवाद पर तकरार
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ‘प्रोजेक्‍ट सिंडिकेट’ नाम के ओपिनियन पोर्टल पर वंशवाद को लेकर अपनी राय रखी है. कांग्रेस नेता उदित राज ने शिश थरूर के स्‍टैंड पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्‍होंने कहा, ‘एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, व्यापारी का बच्चा व्यापार संभालता है और राजनीति भी इससे अछूती नहीं है. अगर कोई नेता आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है, तो यह हमारे समाज की वास्तविकता को ही दर्शाता है. चुनावी टिकट अक्सर जाति और पारिवारिक आधार पर बांटे जाते हैं. नायडू से पवार तक, डीएमके से ममता बनर्जी और मायावती तक ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं. नुकसान यह है कि अवसर केवल परिवारों तक ही सीमित रह जाते हैं.’

योग्‍यता और नेतृत्‍व का मुद्दा
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारतीय राजनीति में गांधी परिवार के प्रमुख नेताओं का बचाव किया और कहा कि नेतृत्व योग्यता से आता है. उन्होंने कहा, ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू इस देश के सबसे सक्षम प्रधानमंत्री थे. इंदिरा गांधी ने अपने प्राणों की आहुति देकर खुद को साबित किया. राजीव गांधी ने भी अपने जीवन का बलिदान देकर देश की सेवा की. अगर कोई गांधी परिवार को वंशवाद कहता है, तो बताइए भारत में कौन सा दूसरा परिवार है जिसके पास इतना बलिदान, समर्पण और क्षमता रही है? क्या वह भाजपा है?’ कांग्रेस के एक अन्‍य नेता राशिद अल्वी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनता ही नेताओं को सत्ता में भेजती है और किसी को उसके पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण राजनीति में आने से नहीं रोका जा सकता. उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में फैसला जनता करती है. आप यह प्रतिबंध नहीं लगा सकते कि कोई चुनाव नहीं लड़ सकता क्योंकि उसके पिता सांसद थे. ऐसा हर क्षेत्र में हो रहा है. फिर आप इसके लिए क्या रास्ता निकालेंगे?’

शशि थरूर ने आखिर क्‍या कहा?
शशि थरूर ने कहा है कि वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ‘गंभीर खतरा’ है और अब समय आ गया है कि भारत वंशवाद की जगह योग्यता को स्वीकार्यता प्रदान करे. थरूर ने कहा कि जब राजनीतिक सत्ता का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी स्तर पर जुड़ाव के बजाय वंशवाद से होता है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है. ‘प्रोजेक्ट सिंडिकेट’ के लिए लिखे एक लेख में तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर ने बताया कि नेहरू-गांधी परिवार कांग्रेस से जुड़ा है, लेकिन राजनीतिक परिदृश्य में वंशवाद का बोलबाला है. ‘इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फैमिली बिजनेस’ शीर्षक वाले लेख में थरूर ने कहा कि दशकों से एक परिवार भारतीय राजनीति पर हावी रहा है और नेहरू-गांधी परिवार का प्रभाव भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा हुआ है. उनका कहना था, ‘लेकिन यह विचार पुख्ता हुआ है कि राजनीतिक नेतृत्व एक जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है. यह विचार भारतीय राजनीति में हर पार्टी, हर क्षेत्र और हर स्तर पर व्याप्त है.’ थरूर ने कहा कि बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके बेटे नवीन ने अपने पिता की खाली लोकसभा सीट जीती. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने यह पद अपने बेटे उद्धव को सौंप दिया और अब उद्धव के बेटे आदित्य भी प्रतीक्षारत हैं.

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